इस दौर में इंसान का चेहरा नहीं मिलता

इस दौर में इंसान का चेहरा नहीं मिलता

इस दौर में इंसान का चेहरा नहीं मिलता

इस दौर में इंसान का चेहरा नहीं मिलता
कब से मैं नक़ाबों की तहें खोल रहा हूँ.....


Is daur mein insaan ka chehara nahin milata
Kab se main naqaabon kee tahen khol raha hoon.....