इस दौर ए मुन्साफ़ी में ज़रुरी नही वसीम

इस दौर ए मुन्साफ़ी में ज़रुरी नही वसीम

इस दौर-ए-मुन्साफ़ी में ज़रुरी नही 'वसीम',
जिस शक़्स की ख़ता हो उसी को सज़ा मिले.


Is daur-e-munsaafee mein zaruree nahee vaseem,
Jis shaqs kee khata ho usee ko saza mile.