इस दौर ए मुन्साफ़ी में ज़रुरी नही वसीम Admin / Jan 30, 2022 इस दौर ए मुन्साफ़ी में ज़रुरी नही वसीम इस दौर-ए-मुन्साफ़ी में ज़रुरी नही 'वसीम', जिस शक़्स की ख़ता हो उसी को सज़ा मिले. Is daur-e-munsaafee mein zaruree nahee vaseem, Jis shaqs kee khata ho usee ko saza mile. Shayari Sad Shayari Shak Shayari