इन्तेज़ामात नए सिरे से संभाले जाएँ Rajnish / May 30, 2021 इन्तेज़ामात नए सिरे से संभाले जाएँ इन्तेज़ामात नए सिरे से संभाले जाएँ जितने कमजर्फ हैं महफ़िल से निकाले जाएँ मेरा घर आग की लपटों में छुपा हैं लेकिन जब मज़ा हैं, तेरे आँगन में उजाला जाएँ Intezamat naye sire se sambhale jaaye Jitne kamjarf hai mahfil se nikale jaaye Mera ghar aag ki lapton me chupa hai lekin Jab maza hai, tere aangan me ujaala jaaye Shayari Ghar Shayari Hindi Shayari