आशियाना बनाये भी तो कहाँ बनाये जनाब

आशियाना बनाये भी तो कहाँ बनाये जनाब

आशियाना बनाये भी तो कहाँ बनाये जनाब...
जमीनें महँगी हो चली है और दिल में लोग जगह नहीं देते....


Aashiyaana banaaye bhee to kahaan banaaye janaab...
Jameenen mahangee ho chalee hai aur dil mein log jagah nahin dete....