अब बुझा दो ये सिसकते हुए यादों के चराग

अब बुझा दो ये सिसकते हुए यादों के चराग

अब बुझा दो ये सिसकते हुए यादों के चराग,
इनसे कब हिज्र की रातों में उजाला होगा।


Ab Bujha Do Yeh Sisakte Huye Yaadon Ke Chiraag,
Inse Kab Hijr Ki Raaton Mein Ujala Hoga.