अपनी जिंदगी के अलग असूल हैं

अपनी जिंदगी के अलग असूल हैं

अपनी जिंदगी के अलग असूल हैं

अपनी जिंदगी के अलग असूल हैं,
यार की खातिर तो कांटे भी कबूल हैं,
हंस कर चल दूं कांच के टुकड़ों पर भी,
अगर यार कहे, यह मेरे बिछाए हुए फूल हैं.


Apanee jindagee ke alag asool hain,
Yaar kee khaatir to kaante bhee kabool hain,
Hans kar chal doon kaanch ke tukadon par bhee,
Agar yaar kahe, yah mere bichhae hue phool hain.