अपना अपना ज़ायका है ग़ालिब

अपना अपना ज़ायका है ग़ालिब

अपना अपना ज़ायका है ग़ालिब
किसी को पैग मार के नींद आती है
किसी को Muutthh मार के


Apna Apna Zayaka Hai Ghalib
Kisi Ko Peg Maar Ke Neend Aati Hai
Kisi Ko Muutthh Maar Ke