अधूरे से रहते हैं मेरे लफ्ज़ तेरे ज़िक्र के बिना

अधूरे से रहते हैं मेरे लफ्ज़ तेरे ज़िक्र के बिना

अधूरे से रहते हैं मेरे लफ्ज़ तेरे ज़िक्र के बिना...
मानो जैसे मेरी हर शायरी की रूह तुम ही हो...!!


Adhoore se rahate hain mere laphz tere zikr ke bina...
Maano jaise meree har shaayaree kee rooh tum hee ho...!!