ले रहा है तू खुदाया इम्तेहाँ दर इम्तेहाँ Admin / Aug 13, 2021 ले रहा है तू खुदाया इम्तेहाँ दर इम्तेहाँ ले रहा है तू खुदाया इम्तेहाँ दर इम्तेहाँ, पर स्याही ज़िंदगी की खत्म क्यूँ होती नहीं। Le Raha Hai Tu Khudaya Imtehaan Dar Imtehaan, Par Syaahi Zindagi Ki Khatm Kyun Hoti Nahi. Shayari Khud Shayari Maut Shayari