रब्बा मेरे इस बार इतनी खुशिया न दे तू

रब्बा मेरे इस बार इतनी खुशिया न दे तू

रब्बा मेरे
इस बार इतनी खुशिया न दे तू
मैं जान गई हूँ तेरी फितरत
ग़म हर बार दुगना देता है तू


Rabba mere
Is baar itanee khushiya na de too
Main jaan gaee hoon teree phitarat
Gam har baar dugana deta hai too