यूँ तो हरदम सजाकर फिरते हैं होंठों पर एक हँसी

यूँ तो हरदम सजाकर फिरते हैं होंठों पर एक हँसी

यूँ तो हरदम सजाकर फिरते हैं होंठों पर एक हँसी

यूँ तो हरदम सजाकर फिरते हैं होंठों पर एक हँसी,
ना जाने फिर क्यूँ पलकों पर ये बूंदे जमीं सी हैं...!


Yoon to haradam sajaakar phirate hain honthon par ek hansee,
Na jaane phir kyoon palakon par ye boonde jameen see hain...!