जफ़ा के ज़िक्र पे तुम क्यूँ सँभल के बैठ गए

जफ़ा के ज़िक्र पे तुम क्यूँ सँभल के बैठ गए

जफ़ा के ज़िक्र पे तुम क्यूँ सँभल के बैठ गए
तुम्हारी बात नहीं बात है ज़माने की

मजरूह सुल्तानपुरी


Jafa ke zikr pe tum kyoon sanbhal ke baith gae
Tumhaaree baat nahin baat hai zamaane kee

Majarooh sultaanapuree