एक दो ज़ख्म नहीं जिस्म है सारा छलनी Admin / Jul 28, 2021 एक दो ज़ख्म नहीं जिस्म है सारा छलनी एक दो ज़ख्म नहीं जिस्म है सारा छलनी, दर्द बेचारा परेशान है कहाँ से निकले। Ek Do Zakhm Nahin Jism Hai Saara Chhalni, Dard Bechara Pareshaan Hai Kahan Se Nikle. Shayari Dard-bhari Shayari