इंसाँ की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं

इंसाँ की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं

इंसाँ की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं
दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद


Insaan kee khvaahishon kee koee intiha nahin
Do gaz zameen bhee chaahie do gaz kafan ke baad