अपने मरकज़ की तरफ माइल ए परवाज़ था हुस्न Mohit / May 30, 2021 अपने मरकज़ की तरफ माइल ए परवाज़ था हुस्न अपने मरकज़* की तरफ माइल-ए-परवाज़* था हुस्न भूलता ही नहीं आलम तिरी अंगड़ाई का * मरकज़ = केंद्र * माइल-ए-परवाज़ = उड़ान भरने के लिए झुकना Apne marqaj ki taraf maaial-e-parwaz tha husan Bhoolta hi nahin aalam tiri angadaai ka Shayari Apne Shayari Bhool Shayari Mar Shayari Romantic Shayari